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Saffron Swords (Hindi)

by   Manoshi Sinha Rawal (Author),   Yogaditya Singh Rawal (Author)  
by   Manoshi Sinha Rawal (Author),   Yogaditya Singh Rawal (Author)   (show less)
5.0 Ratings & 4 Reviews
Sold By:   Garuda Prakashan
₹449.00₹266.00

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ISBN 13 9781942426509
Book Language Hindi
Binding Paperback
Release Year 2021
Publishers Garuda Prakashan  
Category Freedom Books Package   Indian History   Indian Writing   Offers  
Weight 300.00 g
Dimension 14.00 x 2.00 x 22.00

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Reviews

Awesome book with great heros

Thank you Manoshi
Review by - Henil Gandhi, June 11, 2022

एतिहासिक

अच्छी पुस्तक
Review by - Avadhesh Singh, July 13, 2022

सैफरन स्वोर्ड्स

मानोशी जी को हृदयपूर्वक नमन ये पुस्तक लिखने और दुनिया को भारतवर्ष के सच्चा इतिहास बताने के लिए। प्रथम भाग अत्यंत अद्भुत है आपसे एक निवेदन है कि जल्द ही आप दृतिया भाग का हिंदी वर्सन आप जल्दी प्रस्तुत करेंगे। आभार
Review by - Jaimin Mistry, August 04, 2022

Unknown freedom fighter

Excellent book about our unknown freedom fighter who fought our freedom.
Review by - Ved Tripathi, September 10, 2022
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Product Details

लेखक-द्वय मानोषी सिन्हा रावल एवं योगादित्य सिंह रावल की पुस्तक "सैफरन स्वोर्ड्स" भारत के इतिहास के उस काल-खंड के बावन वीरों एवं वीरांगनाओं की कथाएँ कहती है, जिन्होंने अपनी वीरता और अदम्य साहस से देश में घुसपैठी आक्रमणकारियों, सुल्तानों, नवाबों और फिर अंग्रेजों से लोहा लिया। ये वो काल-खंड था जब देश एक-के-बाद-एक आक्रान्ताओं का सामना कर रहा था और बाद में मुगलों ने, और फिर अंग्रेजों ने देश में अपना साम्राज्य स्थापित किया।

किन्तु हम कितना जानते हैं इन वीरों एवं वीरांगनाओं के बारे में?

लगभग न के बराबर।

हमें पढ़ाया जाने वाला इतिहास इनके बारे में बिरले ही जानकारी देता है; और इससे एक अवधारणा बनी कि हम कमजोर थे, मजबूर थे और हम सदैव हारे।

किन्तु तमाम प्रयासों के बावजूद ये कथाएँ जीवित रहीं--इतिहास के खोए हुए पन्नों में; ब्रिटिश-काल के सरकारी अभिलखों में; विदेशी लेखकों की कृतियों में; इस्लामी आक्रमणकारियों के साथ चलने वाले इतिहासकारों के वर्णनों में; शिलालेखों पर; लोक-कथाओं में; किम्वदन्तियों में; जन-कवियों की कविताओं में और आम जन के मानस पटल पर। हमने उन्हें खोजा ही नहीं; ये मान बैठे कि जो हमें पढ़ाया जाता है, बस उतना ही सत्य है।

इन्हीं विस्मृत कथाओं को कठिन एवं अथक परिश्रम कर के लेखकगण ने ढूँढ कर आप के सामने रखा है, ताकि हम अपने इतिहास को न सिर्फ जान सकें, वरन उस पर गर्व भी कर सकें।

इन बावन कथाओं में भारत के सभी हिस्सों-पूर्व, पश्चिम, उत्तर एवं दक्षिण; सभी जातियों; स्त्री, पुरुष; 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष से ऊपर के उन योद्धाओं की कहानियाँ हैं, जिन्होंने आक्रान्ताओं को कई बार नाकों-चने चबवाए; और जब समय आया तो अपने प्राणों की आहुति देकर देश के लिए न्योछावर हो गए।

पढ़ें और जानें हमारे योद्धा पूर्वजों के बारे में ।

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